Tuesday, February 1, 2011

कुरान की चौबीस आयतें और उन पर दिल्ली कोर्ट का फैसला

श्री इन्द्रसेन (तत्कालीन उपप्रधान हिन्दू महासभा दिल्ली) और राजकुमार ने कुरान मजीद (अनु. मौहम्मद फारुख खां, प्रकाशक मक्तबा अल हस्नात, रामपुर उ.प्र. १९६६) की कुछ निम्नलिखित आयतों का एक पोस्टर छापा जिसके कारण इन दोनों पर इण्डियन पीनल कोड की धारा १५३ए और २६५ए के अन्तर्गत (एफ.आई.आर. २३७/८३यू/एस, २३५ए, १ पीसी होजकाजी, पुलिस स्टेशन दिल्ली) में मुकदमा चलाया गया।

1- ''फिर, जब हराम के महीने बीत जाऐं, तो 'मुश्रिको' को जहाँ-कहीं पाओ कत्ल करो, और पकड़ो और उन्हें घेरो और हर घातकी जगह उनकी ताक में बैठो। फिर यदि वे 'तौबा' कर लें 'नमाज' कायम करें और, जकात दें तो उनका मार्ग छोड़ दो। निःसंदेह अल्लाह बड़ा क्षमाशील और दया करने वाला है।'' (पा० १०, सूरा. ९, आयत ५,२ख पृ. ३६८)

2- ''हे 'ईमान' लाने वालो! 'मुश्रिक' (मूर्तिपूजक) नापाक हैं।'' (१०.९.२८ पृ. ३७१)

3- ''निःसंदेह 'काफिर तुम्हारे खुले दुश्मन हैं।'' (५.४.१०१. पृ. २३९)

4- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) उन 'काफिरों' से लड़ो जो तुम्हारे आस पास हैं, और चाहिए कि वे तुममें सखती पायें।'' (११.९.१२३ पृ. ३९१)

5- ''जिन लोगों ने हमारी ''आयतों'' का इन्कार किया, उन्हें हम जल्द अग्नि में झोंक देंगे। जब उनकी खालें पक जाएंगी तो हम उन्हें दूसरी खालों से बदल देंगे ताकि वे यातना का रसास्वादन कर लें। निःसन्देह अल्लाह प्रभुत्वशाली तत्वदर्शी हैं'' (५.४.५६ पृ. २३१)

5- ''हे 'ईमान' लाने वालों! (मुसलमानों) अपने बापों और भाईयों को अपना मित्र मत बनाओ यदि वे ईमान की अपेक्षा 'कुफ्र' को पसन्द करें। और तुम में से जो कोई उनसे मित्रता का नाता जोड़ेगा, तो ऐसे ही लोग जालिम होंगे'' (१०.९.२३ पृ. ३७०)

7- ''अल्लाह 'काफिर' लोगों को मार्ग नहीं दिखाता'' (१०.९.३७ पृ. ३७४)

8- ''हे 'ईमान' लाने वालो! उन्हें (किताब वालों) और काफिरों को अपना मित्र बनाओ। अल्ला से डरते रहो यदि तुम 'ईमान' वाले हो।'' (६.५.५७ पृ. २६८)

9- ''फिटकारे हुए, (मुनाफिक) जहां कही पाए जाऐंगे पकड़े जाएंगे और बुरी तरह कत्ल किए जाएंगे।'' (२२.३३.६१ पृ. ७५९)

10- ''(कहा जाऐगा): निश्चय ही तुम और वह जिसे तुम अल्लाह के सिवा पूजते थे 'जहन्नम' का ईधन हो। तुम अवश्य उसके घाट उतरोगे।''

11- 'और उस से बढ़कर जालिम कौन होगा जिसे उसके 'रब' की आयतों के द्वारा चेताया जाये और फिर वह उनसे मुँह फेर ले। निश्चय ही हमें ऐसे अपराधियों से बदला लेना है।'' (२१.३२.२२ पृ. ७३६)

12- 'अल्लाह ने तुमसे बहुत सी 'गनीमतों' का वादा किया है जो तुम्हारे हाथ आयेंगी,'' (२६.४८.२० पृ. ९४३)

13- ''तो जो कुछ गनीमत (का माल) तुमने हासिल किया है उसे हलाल व पाक समझ कर खाओ'' (१०.८.६९. पृ. ३५९)

14- ''हे नबी! 'काफिरों' और 'मुनाफिकों' के साथ जिहाद करो, और उन पर सखती करो और उनका ठिकाना 'जहन्नम' है, और बुरी जगह है जहाँ पहुँचे'' (२८.६६.९. पृ. १०५५)

15- 'तो अवश्य हम 'कुफ्र' करने वालों को यातना का मजा चखायेंगे, और अवश्य ही हम उन्हें सबसे बुरा बदला देंगे उस कर्म का जो वे करते थे।'' (२४.४१.२७ पृ. ८६५)

16- ''यह बदला है अल्लाह के शत्रुओं का ('जहन्नम' की) आग। इसी में उनका सदा का घर है, इसके बदले में कि हमारी 'आयतों' का इन्कार करते थे।'' (२४.४१.२८ पृ. ८६५)

17- ''निःसंदेह अल्लाह ने 'ईमानवालों' (मुसलमानों) से उनके प्राणों और उनके मालों को इसके बदले में खरीद लिया है कि उनके लिए 'जन्नत' हैः वे अल्लाह के मार्ग में लड़ते हैं तो मारते भी हैं और मारे भी जाते हैं।'' (११.९.१११ पृ. ३८८)

18- ''अल्लाह ने इन 'मुनाफिक' (कपटाचारी) पुरुषों और मुनाफिक स्त्रियों और काफिरों से 'जहन्नम' की आग का वादा किया है जिसमें वे सदा रहेंगे। यही उन्हें बस है। अल्लाह ने उन्हें लानत की और उनके लिए स्थायी यातना है।'' (१०.९.६८ पृ. ३७९)

19- ''हे नबी! 'ईमान वालों' (मुसलमानों) को लड़ाई पर उभारो। यदि तुम में बीस जमे रहने वाले होंगे तो वे दो सौ पर प्रभुत्व प्राप्त करेंगे, और यदि तुम में सौ हो तो एक हजार काफिरों पर भारी रहेंगे, क्योंकि वे ऐसे लोग हैं जो समझबूझ नहीं रखते।'' (१०.८.६५ पृ. ३५८)

20- ''हे 'ईमान' लाने वालों! तुम यहूदियों और ईसाईयों को मित्र न बनाओ। ये आपस में एक दूसरे के मित्र हैं। और जो कोई तुम में से उनको मित्र बनायेगा, वह उन्हीं में से होगा। निःसन्देह अल्लाह जुल्म करने वालों को मार्ग नहीं दिखाता।'' (६.५.५१ पृ. २६७)

21- ''किताब वाले'' जो न अल्लाह पर ईमान लाते हैं न अन्तिम दिन पर, न उसे 'हराम' करते हैं जिसे अल्लाह और उसके रसूल ने हराम ठहराया है, और न सच्चे दीन को अपना 'दीन' बनाते हैं उनकसे लड़ो यहाँ तक कि वे अप्रतिष्ठित (अपमानित) होकर अपने हाथों से 'जिजया' देने लगे।'' (१०.९.२९. पृ. ३७२)

22- २२ ''.......फिर हमने उनके बीच कियामत के दिन तक के लिये वैमनस्य और द्वेष की आग भड़का दी, और अल्लाह जल्द उन्हें बता देगा जो कुछ वे करते रहे हैं। (६.५.१४ पृ. २६०)

23- ''वे चाहते हैं कि जिस तरह से वे काफिर हुए हैं उसी तरह से तुम भी 'काफिर' हो जाओ, फिर तुम एक जैसे हो जाओः तो उनमें से किसी को अपना साथी न बनाना जब तक वे अल्लाह की राह में हिजरत न करें, और यदि वे इससे फिर जावें तो उन्हें जहाँ कहीं पाओं पकड़ों और उनका वध (कत्ल) करो। और उनमें से किसी को साथी और सहायक मत बनाना।'' (५.४.८९ पृ. २३७)

24- ''उन (काफिरों) से लड़ों! अल्लाह तुम्हारे हाथों उन्हें यातना देगा, और उन्हें रुसवा करेगा और उनके मुकाबले में तुम्हारी सहायता करेगा, और 'ईमान' वालों लोगों के दिल ठंडे करेगा'' (१०.९.१४. पृ. ३६९)

उपरोक्त आयतों से स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, द्वेष, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।

उपरोक्त आयतों में स्पष्ट है कि इनमें ईर्ष्या, घृणा, कपट, लड़ाई-झगड़ा, लूटमार और हत्या करने के आदेश मिलते हैं। इन्हीं कारणों से देश व विश्व में मुस्लिमों व गैर-मुस्लिमों के बीच दंगे हुआ करते हैं।

मैट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट श्री जेड़ एस. लोहाट ने ३१ जुलाई १९८६ को फैसला सुनाते हुए लिखाः ''मैंने सभी आयतों को कुरान मजीद से मिलान किया और पाया कि सभी अधिकांशतः आयतें वैसे ही उधृत की गई हैं जैसी कि कुरान में हैं। लेखकों का सुझाव मात्र है कि यदि ऐसी आयतें न हटाईं गईं तो साम्प्रदायिक दंगे रोकना मुश्किल हो जाऐगा। मैं ए.पी.पी. की इस बात से सहमत नहीं हूँ कि आयतें २,५,९,११ और २२ कुरान में नहीं है या उन्हें विकृत करके प्रस्तुत किया गया है।''

तथा उक्त दोनों महानुभावों को बरी करते हुए निर्णय दिया कि- ''कुरान मजीद'' की पवित्र पुस्तक के प्रति आदर रखते हुए उक्त आयतों के सूक्ष्म अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि ये आयतें बहुत हानिकारक हैं और घृणा की शिक्षा देती हैं, जिनसे एक तरफ मुसलमानों और दूसरी ओर देश के शेष समुदायों के बीच मतभेदों की पैदा होने की सम्भावना है।'' (ह. जेड. एस. लोहाट, मेट्रोपोलिटिन मजिस्ट्रेट दिल्ली ३१.७.१९८६)

30 comments:

  1. jab tak quran se in bhyankar khuni aayaton ko hataya nahin jayega,musalmaan duniya me na khud shanti se rah paayenge aur naa kisi ko shanti se rahne denge

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  2. भाई हिन्दुओ का धर्म हिन्दू और मुसलमानों का धर्म मुसलमान क्यों रखा गया क्या आप मुझे बता सकते है
    मुझे आपका ब्लोग्स भहूत अच्छा लगा पढ़ कर

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    1. Musalmano ka majhab h dharma nahi h.. Hindu dharma h

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    2. Hindu ka Dharm Sanatan Dharm hai.. Or muslim ka Dharm nahi majhab hai jo islam hai.. Dharm ka arth hota hai kartavya .. Manushya Kartvya

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  3. ye lines quran me beech beech se li gai hai,isiliye jisne quran nahin pada wo isko nahin samjh sakta.

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    1. Aap quran padhe hai to is sb ka mtlab samjhaeye...

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  4. स्वामी लक्ष्मिशंकाराचार्य जी की पुस्‍तक ''इस्लाम आतंक ? या आदर्श'' से भी गलतफहमी दूर की जासकती है

    http://siratalmustaqueem.blogspot.com/2010/09/blog-post_15.html

    विद्वानों ने मुझसे कहा -" आपने क़ुरआन माजिद की जिन आयतों का हिंदी अनुवाद अपनी किताब में लिया है, वे आयतें अत्याचारी काफ़िर मुशरिक लोगों के लिए उतारी गयीं जो अल्लाह के रसूल ( सल्ल०) से लड़ाई करते और मुल्क में फ़साद करने के लिए दौड़े फिरते थे। सत्य धर्म की रह में रोड़ा डालने वाले ऐसे लोगों के विरुद्ध ही क़ुरआन में जिहाद का फ़रमान है।
    उन्होंने मुझसे कहा कि इस्लाम कि सही जानकारी न होने के कारण लोग क़ुरआन मजीद कि पवित्र आयतों का मतलब समझ नहीं पाते। यदि आपने पूरी क़ुरआन मजीद के साथ हज़रात मुहम्मद ( सल्लालाहु अलैहि व सल्लम ) कि जीवनी पढ़ी होती, तो आप भ्रमित न होते ।"
    मुस्लिम विद्वानों के सुझाव के अनुसार मैंने सब से पहले पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद कि जीवनी पढ़ी। जीवनी पढ़ने के बाद इसी नज़रिए से जब मन की शुद्धता के साथक़ुरआन मजीद शुरू से अंत तक पढ़ी, तो मुझे क़ुरआन मजीद कि आयतों का सही मतलब और मक़सद समझ आने लगा ।
    सत्य सामने आने के बाद मुझे अपनी भूल का अहसास हुआ कि मैं अनजाने में भ्रमित था और इसी कारण ही मैंने अपनी किताब ' इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास ' में आतंकवाद को इस्लाम से जोड़ा है जिसका मुझे हार्दिक खेद है ।
    मैं अल्लाह से, पैग़म्बर मुहम्मद ( सल्ल०) से और सभी मुस्लिम भाइयों से सार्वजानिक रूप से माफ़ी मांगता हूँ तथा अज्ञानता में लिखे व बोले शब्दों को वापस लेता हूं। सभी जनता से मेरी अपील है कि ' इस्लामिक आतंकवाद का इतिहास ' पुस्तक में जो लिखा है उसे शुन्य समझें ।

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    1. बे शक अल्लाह मुआफ़ करने वाला है

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    2. इसलिए दुनिया के सभी मुल्क इस इस्लाम नामक बीमारी से त्रस्त हैं ?? गलत कोई नही लेता, गलत ही लिखा हुआ है !!

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    3. आपके कहने का मतलब है जो आयतें उस समय प्रासंगिक थी काफ़िर के संबंध में अब नही रही तो क्यों ना इन्हें हटा ही दिया जाए ताकि बार बार सबको समझाना ना पड़े ये बात ।
      इसी तरह बहुविवाह तलाक हलाला बुरका इत्यादि उस कबीला संस्कृति के समय ही प्रासंगिक थी अब नही है इन्हें भी त्याग देना चाहिए।

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  5. Half knowledge is always dangerous. The Court failed to comprehend the true import,meaning and context of the Quranic Ayaths and as the case was not pursued properly it became final. The extracted parts of the Judgment really deserved to be challenged. After all the MagistraterialCourt is the lowest in heirarchy that why remedies like appeal, revision and review are in variably provided under laws. The higher fora will have a better and a seasoned wisdom.

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  6. AAPKE TARK KO AGAR SAHI MAANI JAAYE TO ISKAA ARTH TO SIDHE SIDHE YAHI HUA KI WIGAT 1400 SAALON SE AAJ TAK PURI DUNIYAA ME ISLAAM KE NAAM PAR JO KARODON KARODON HATYAYE HUI AUR AB TAK HO RAHI HAIN,WE SAB YAA TO ISLAAM KO THIK SE NA SAMAJH PAANE KE KAARAN,YAA AADHA SAMAJHNE KE KAARAN HUI AUR HO RAHA HAI???TAB TO BINA SAMAY GAWAYE JALD SE JALD QURAN ME AAMUL CHUL PARIWARTAN LAANA NITANT AAWASHYAK HAI,NAHIN TO ISE GALAT TARIKE SE SAMAJH KAR DUNIYA ME ISLAM KE NAAM PAR BEKASURON KAA SANHAAR HOTA RAHEGA????DOST,SACHCHAI KO NAKAAR DENE SE SACHCHAI BADAL NAHIN JAATI.

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    1. You are right sir ye log pahle hamare maha purusho aur guruon ke bare me jhooti aur anap sanab bate failaya karte the lekin ab jab inki qurand ki asliyat khul rahi hai to sachchai inse dekhi nahi ja rahi

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  7. जनाब गुलाम मुहम्मद जी, इस्लाम के इन्ही "विद्वानों" (?) के चतुराई के कारण ही आज मुसलमान इतने अज्ञानता में जी रहे हैं और बेकसूर निरीह गैर मुसलमानों का क़त्ल कर रहे हैं,आपने कहा "वे आयते आत्याचारी काफिर मुसरिकों के लिए उतारी गयी हैं" , क्या कश्मीर के सारे हिन्दू अत्याचारी थे? क्या अक्छर धाम मंदिर में इश्वर की आराधना कर रहे निर्दोष और अबला हिन्दू औरतें और उनके मासूम बच्चे अत्याचारी थे? मुंबई बम धमाका,ताज होटल काण्ड में मारे जाने वाले सारे हिन्दू,तथा क्या तमाम इस्लामी जिहादी घटनाओं में निर्ममता से मारे जाने वाले सारे गैर मुस्लिम "अत्याचारी" थे? हाँ ,इस्लाम के अनुसार मरने वाले ये सारे लोग "काफिर" और "मुसरिक" जरुर थे, क्योंकि यही तो कुरान की तालीम है "जो इस्लाम को नहीं मानता वो काफिर और मुसरिक है,उसे निर्ममता से क़त्ल करो", सारे इस्लामी जिहादी घटनाओ को इस्लामी "विद्वान"(?) और हमारे महान महान "सेकुलरवादी" वोट और सत्ता लोलुप हिन्दू नेता ये कहकर ढकने की कोशिश करते हैं कि इस्लाम कि सही जानकारी न होने के कारण गुमराह मुस्लिमो के द्वारा की गई करवाई है,तो क्या आज तक इतनी बड़ी संख्या में बेगुनाहों का क़त्ल केवल इस्लाम को ठीक से न समझने कारण हुई है और आज तक हो रही है? तब तो ये सबसे बड़ा तर्क ( Logic ) होना चाहिए कुरआन में आमूलचूल परिवर्तन लाने के लिए!!!! क्योंकि अगर कुरान के वर्तमान स्वरुप को न बदला गया तो "गुमराह" मुस्लिम तो कुरान को ठीक से न समझ पाने के कारण अनवरत बेकसूर गैर मुस्लिमो का संहार करते रहेंगे !!!! मेरे दोस्त,सच्चाई तुम्हे भी मालुम है, और इन "विद्वान" मुल्ला मौलविओं को भी मालुम है और इन शैतान नेताओं को भी मालुम है कि दरअसल मुस्लिमों द्वारा निर्दोष गैर मुस्लिमों का क़त्ल "अल्लाह" की राह में किया गया एक नेक और फर्ज का काम है,इन मुल्ला मौलविओं और इन महाचोर "सेकुलर" नेताओं से बड़ा दोगला और कौन हो सकता है जिनके जुबान पे कुछ और दिमाग में कुछ और रहता है .

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    1. Bhai m tere bat se sahmat hu m bhi ak muslim hu lekin ye dharna mere dil me nhi (muslim dhrm ko garab karne wale kuch ak tatav or rajneti se grab ho rha h allh nhi chata kise ko marna vo to sirf simple jivan yapn karne ko khta h)

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  8. मै श्री परिमल मुख़र्जी जी के विचारों से 100 % सहमत हूँ ,उनकी बातों की पुष्टि इन दिनों एक खतरनाक TV चैनल को देख कर कोई भी साधारण बुद्धि संपन्न ब्यक्ति कर सकता है , सेकुलरवादी गिरोह के पृष्ठ पोषण से इन दिनों Peace TV Urdu नामक खतरनाक कट्टरवादी इस्लामी चैनल सरेआम मुसलमानों को जिहाद और ज्यादा से ज्यादा हिन्दुओं को मुसलमान बनाने के लिए उकसा रहा है,जल्द से जल्द और जबरजस्त तरीके से अगर इसका विरोध नहीं हुआ तो आनेवाले समय की भयावहता कल्पना भी नहीं की जा सकती,देश के प्रबुद्ध नागरिकों,लेखकों और जननेताओं को बिना समय गवाए इसके निराकरण का उपाय ढूंड निकालना ही होगा,जल्द से जल्द इस चैनल पर कठोरता से प्रतिबन्ध लगाना होगा,नहीं तो इसके भयंकर परिणाम होंगे,पहले से ही अज्ञानता और कट्टरता के घनघोर अँधेरे गहरे कुएं में गिरे हुए इन मुसलमानों को यह चैनल और ज्यादा गहराई में धकेलने का काम खुल्लम खुल्ला कर रहा है,हर देश भक्त हिन्दू को चाहिए खुद जागृत होकर औरों को जगाएं या आने वाले कल में होने वाले भयंकर रक्तपात के लिए तैयार रहें I

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  9. मुझे कुरान पढने सही बयाखया जानने की जरूरत नहीं है इतना जानता हूं मुसलमान हिन्दुओं की पूजा पद्धतियों को घृणा से देखते हैं हिंदू ही नहीं किसी गैर मुस्लिम से भी अब या तो वो ग़लत हैं जो कुरान को ठीक से समझा नहीं या वो सही है कुरान में ऐसा ही कहा गया है।

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  10. पहले बाप पैदा हुआ या बेटा..... कुरान सिर्फ 1400 सौ साल, और हम 6000 साल पहले...
    II समस्तविश्वमार्यम् II जय हिंद जय भारत🙏

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  11. यह पवित्र कुरान की एक आयत है आयत नम्बर भी दिया है

    बेशक अल्लाह नही शर्माता कि कोई मिसाल बयान करे जो मच्छर जैसी हो ख़ाह उस के ऊपर (बढ़ कर) हो जो लोग ईमान लाए वह तो जानते हैं कि वह उन के रब की तरफ़ से हक़ है , और जिन लोगों ने कुफ़्र किया वह कहते हैं अल्लाह ने इस मिसाल से क्या इरादा किया , वह इस से बहुत लोगों को गुमराह करता है और इस से बहुत लोगों को हिदायत देता है , और इस से नाफ़रमानों के सिवा किसी को गुमराह नहीं करता , (26)

    तो मेरे भाई दिल पर हाथ रख कर सोचना आज तक किस मुसलमान ने तुम्हे मारने की कोशिश की है, अगर ऐसा सच में होता तो या तुम इस दुनिया पर जिन्दा रहते या हम
    मेरे भाई जिस इंसान ने इस पवित्र को पुरी समझ के साथ पढ़ लिया उसके लिए दुनिया में बहुत बड़ी इबरत है

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  12. मेरे भाई उम्मीद है कि हम सब पढ़ दिखे इस लिए इन सब बातो को जानना चाहते हैं तो पढ़े लिखे इंसान जैसी सोंच चलाओ अनपढ़ों जैसी नही। समंदर की गहराई उसमें कूद कर पाता चलती है पानी को देख कर नही पानी🙏

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  13. लिखने में कोई गड़बड़ी दिखे तो माफ कर देना

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  14. ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या से बलात्कार किया इंद्रदेव ने, फिर भी पूजनिय क्यूँ ? राजा पाण्डु ने माधुरी से बलात्कार किया, उसका दहन नहीं, कोई सजा नहीं क्यों ? ऋषि पराशार ने केवट की पुत्री सत्यवती से बलात्कार किया, उसका बहिष्कार क्यों नहीं ? बृहस्पति की पत्नी रुतारा का चंद्र ने अपहरण कर बलात्कार किया (देखा जाए तो बलात्कारी को देख कर करवाचैथ की पूजा की जाती है, जाने किस मंशा से ?) ब्रह्मा ने अपनी पुत्री वाच से जबरन सहवाह किया और पुत्री सरस्वती से जबरन विवाह कर हमेशा के लिए बलात्कार का अधिकार पा लिया। (ऐसा आराद्धय मुँह के जनों का ही हो सकता है, नरक के राजा की रानियों से कृष्ण का विवाह और मामा अनय की पत्नी से शारीरिक संबंध, फिर भी पूजनीय है पता नहीं क्यूँ (आज अगर कोई किसी के कपड़े चुरा कर भागे तो उसके शरीर पर कपड़े नहीं बचेंगे) भीष्म ने अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का अपहरण किया ताकि नियोग द्वारा बच्चा पैदा किया जा सके। (ये भी बलात्कार का ही रूप है) फिर काहे के पितामह ? राम के पूर्वज राजा दण्ड ने शुक्राचार की पुत्री अरजा के साथ बलात्कार किया। (यानी राम एक बलात्कारी के वंशज थे) वायु देवता ने महर्षि कुशनाभ की कन्याओं से बलात्कार की कोशिश की। जब हमारे शास्त्रों में बलात्कार को इतनी सहजता से स्वीकार कर लिया गया है तो कैसे समाज से यह कोढ़ खत्म हो पाएगा ? जब हमारे ग्रंथों में बलात्कार को भी महिमामंडित किया जाता है तो कैसे संभव है बलात्कार का आज के जमाने में रोक पाना ? क्योंकि बलात्कार को शक्ति और सक्षमता से जोड़ दिया गया है, शायद इसीलिए आज भी गाँव में बलात्कारी से ही विवाह का फरमान सुना दिया जाता है, मुझे शर्म आती है ऐसे ग्रंथों में दर्ज शर्मशार कर देने वाले व्याख्यानों से। (नोट - सनातन का अर्थ - परंपरानुसार चला आता हुआ)

    राजा ययाती की पुत्री माधवी की कहानी बहुत कम लोगों को पता है। माधवी को दो वरदान मिले थे। पहला कि वह हमेशा पुत्र को ही जन्‍म देगी और दूसरा कि हर बार बच्‍चे को जन्‍म देने के बाद वह कुंवारी बन जाएगी। यानी माधवी अपनी वर्जि‍निटी कभी नहीं खो सकती थी। मगर यह दो वरदान उसके लिए श्रप की तरह साबित हुए। दरअसल एक दिन राजा ययाती के पास उनके गुरू वश्विामित्र ने अपने शिष्‍य ग्‍लावा को भेजा और राजा से गुरुदक्षिणा मांग कर लाने को कहा। गुरदक्षिणा में विश्‍वामित्र ने राजा को 800 सफेद घोड़ों के काले कान मांगे। राजा ने बहुत कोशिश की कि उसे कहीं से इतने घोड़े मिल जाएं और वो उनके कान गुरू को भिजवा सके मगर ऐसा नहीं हो सका। इसलिए गुरुदक्षिणा में राजा ने अपनी बेटी माधवी को दान क‍र दिया और ग्‍लावा से कहा कि इसका विवाह किसी ऐसे राजा से करवा देना जिसके पास सफेद घोड़े हों। ग्‍लावा माधवी को गुरू विश्‍वामित्र के पास ले गया। मगर ऐसा कोई भी राजा नहीं मिला, जिसके पास 800 घोड़े हों। इसलिए गरू विश्‍वामित्र ने माधवी को 3 अलग-अलग राजाओं के पास संभोग के लिए भेजा। आखिर में जब 200 घोड़े नहीं मिले तो गुरू और ग्‍लावा दोनों ने माधवी से संभोग किया। माधवी की कहानी बताती है कि पौराणिक काल से ही लड़कियों को केवल संभोग की वस्‍तु समझा गया और अपना आन बान शान के लिए उन्‍हें दान किया गया। आज भी हिंदु रीति रिवाज के तहत विवाह में लड़कियों का कन्‍यादान किया जाता है।

    महाभारत का जिक्र जब-जब होता है। तब-तब द्रोपदी का नाम लिया जाता है। द्रोपदी के साथ हमेशा धोका हुआ। द्रोपदी करण से प्रेम करती थी मगर करण में इतनी हिम्‍मत नहीं थी को वो सबके आगे द्रोपदी से प्रेम करने की बात का स्‍वीकार कर सके। इसके बाद जब द्रोपदी ने अर्जुन से विवाह किया तो अर्जुन की मां यानी कुंती ने अपने पांचों पुत्र को आदेश दिया कि वो द्रोपदी को आपस में बांट ले। तब द्रोपदी को यह वरदान मिला कि हर बार संभोग के बाद उसे उसकी वर्जिनिटी वापिस मिल जाएगी। इस तरह द्रोपदी के पांच पति हुए। मगर बात जब रक्षा की आई तो पांचों पति मिलकर भी द्रोपदी की रक्षा नहीं कर पाए। दरअसल पांडव जुएं में द्रोपदी को कौरवों से हार गए थे। हार के बाद कौरवों ने द्रोपदी को बालों से पकड़ कर भरी सभा में निवस्‍त्र करना चाहा। इतिहास में यह दृश्‍य चीर हरण के नाम से प्रसिद्ध हुआ। आज के दौर में भले ही किसी महिला के पांच पति नहीं होते मगर आज भी देश के कुद इलाकों में महिलाओं को संभोग के लिए पति खुद दूसरे मर्दों के आगे परोस देता है।

    इन ग्रंथों को हिंदू धर्मग्रंथों से उद्धृत करने का उद्देश्य पाखंड को उजागर करना है। हमारे धर्मग्रंथों में स्वयं वासना, बलात्कार और अन्य जघन्य यौन अपराधों के ऐसे विवरण हैं। हम उन सभी से आह्वान करते हैं जो इन कार्यों में विश्वास करते हैं और स्वीकार करते हैं कि वे जो झूठ और अनैतिकता सिखाते हैं, उसके लिए अपनी आँखें खोलें।

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